एकादशी व्रत विधि

एकादशी व्रत विधि (Ekadashi Vrat Vidhi in Hindi)

एकादशी व्रत क्या है?

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आता है। इस दिन भगवान विष्णु जी की विशेष पूजा की जाती है।
मान्यता है कि एकादशी का व्रत करने से पापों का नाश, मन की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति श्रद्धा और नियमपूर्वक एकादशी व्रत करता है, उसे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।


एकादशी व्रत का महत्व

एकादशी को हरि वासर भी कहा जाता है, यानी यह दिन भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।

एकादशी व्रत के प्रमुख लाभ:

  • मन और शरीर की शुद्धि

  • पाप कर्मों से मुक्ति

  • ग्रह दोषों में कमी

  • मानसिक शांति

  • पारिवारिक सुख-समृद्धि

  • मोक्ष की प्राप्ति

धार्मिक मान्यता है कि इस दिन अन्न त्याग करने से पाचन तंत्र भी शुद्ध होता है और व्रत करने वाले में सात्विकता बढ़ती है।


एकादशी व्रत कब किया जाता है?

एक महीने में कुल दो एकादशी आती हैं:

  1. शुक्ल पक्ष की एकादशी

  2. कृष्ण पक्ष की एकादशी

साल भर में लगभग 24 एकादशी व्रत होते हैं।
कुछ प्रमुख एकादशी हैं:

  • निर्जला एकादशी

  • देवशयनी एकादशी

  • देवउठनी एकादशी

  • मोहिनी एकादशी

  • पापमोचनी एकादशी


एकादशी व्रत करने के नियम

एकादशी व्रत तभी फलदायी होता है जब उसे नियम और श्रद्धा से किया जाए।

व्रत के नियम

  • दशमी तिथि को सात्विक भोजन करें

  • लहसुन-प्याज, मांस, शराब का त्याग

  • एकादशी के दिन अन्न ग्रहण न करें

  • क्रोध, झूठ और नकारात्मक विचारों से बचें

  • भगवान विष्णु का ध्यान और नाम जप करें


एकादशी व्रत विधि (पूरी पूजा विधि)

1. प्रातःकाल की तैयारी

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठें

  • स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें

  • घर के मंदिर या पूजा स्थान को साफ करें

2. व्रत का संकल्प

हाथ में जल, पुष्प और अक्षत लेकर मन में संकल्प करें:

“मैं अमुक तिथि की एकादशी का व्रत श्रद्धा पूर्वक कर रहा/रही हूँ। हे भगवान विष्णु, मेरी मनोकामना पूर्ण करें।”


3. भगवान विष्णु की पूजा विधि

पूजा में निम्न सामग्री रखें:

  • पीले फूल

  • तुलसी दल

  • धूप-दीप

  • फल

  • पंचामृत

  • पीला वस्त्र

पूजा क्रम:

  • भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें

  • तुलसी दल अर्पित करें

  • धूप-दीप जलाएँ

  • विष्णु सहस्रनाम या मंत्र का जाप करें

  • एकादशी व्रत कथा का पाठ करें


एकादशी व्रत में क्या खाएं?

जो लोग निर्जल व्रत नहीं कर सकते, वे फलाहार कर सकते हैं।

फलाहार में क्या लें

  • फल

  • दूध

  • दही

  • मखाना

  • साबूदाना

  • मूंगफली

  • नारियल पानी

क्या न खाएं

  • चावल

  • गेहूं

  • दाल

  • नमक (कुछ लोग सेंधा नमक लेते हैं)


एकादशी व्रत कथा (संक्षेप में)

पुराणों में वर्णन है कि एकादशी देवी भगवान विष्णु से उत्पन्न हुई थीं। उन्होंने दानव मुर का वध किया।
भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर वरदान दिया कि:

“जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करेगा, उसे मेरे लोक की प्राप्ति होगी।”

इसी कारण एकादशी व्रत को अत्यंत पुण्यदायक माना गया है।


एकादशी व्रत पारण विधि

व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है।

पारण के नियम

  • सूर्योदय के बाद ही पारण करें

  • पहले भगवान विष्णु की पूजा करें

  • तुलसी जल ग्रहण करें

  • सात्विक भोजन से व्रत खोलें

❌ द्वादशी तिथि समाप्त होने के बाद पारण करना अशुभ माना जाता है।


एकादशी व्रत से जुड़े विशेष लाभ

  • जीवन के कष्ट दूर होते हैं

  • आर्थिक समस्याओं में राहत

  • स्वास्थ्य में सुधार

  • मानसिक शांति

  • घर में सकारात्मक ऊर्जा


एकादशी व्रत कौन कर सकता है?

  • पुरुष

  • महिलाएँ

  • बुजुर्ग

  • विद्यार्थी

👉 गर्भवती महिलाएँ और बीमार व्यक्ति डॉक्टर की सलाह लेकर ही व्रत करें।


एकादशी व्रत से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q1. क्या एकादशी में पानी पी सकते हैं?

हाँ, अगर निर्जल व्रत नहीं है तो पानी पी सकते हैं।

Q2. क्या एकादशी में नमक खा सकते हैं?

साधारण नमक वर्जित है, सेंधा नमक लिया जा सकता है।

Q3. क्या एकादशी में तुलसी तोड़ सकते हैं?

नहीं, एकादशी के दिन तुलसी तोड़ना वर्जित है।

Q4. एकादशी व्रत का सबसे बड़ा लाभ क्या है?

मोक्ष की प्राप्ति और भगवान विष्णु की कृपा।


निष्कर्ष

एकादशी व्रत विधि न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि मानसिक और शारीरिक शुद्धि के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। यदि इसे श्रद्धा, नियम और भक्ति के साथ किया जाए तो जीवन की अनेक समस्याएँ स्वतः दूर होने लगती हैं।

🙏 “एकादशी व्रत से हरि कृपा अवश्य प्राप्त होती है।”